एक छोटे से बगीचे में एक नन्हा पौधा था। वह बहुत छोटा था, लेकिन उसकी इच्छा बड़ा पेड़ बनने की थी। वह देखता था कि बगीचे के बड़े पेड़ कितने सुंदर और मजबूत हैं। वे पक्षियों को आश्रय देते हैं, फलों से लोगों को खुश करते हैं, और अपनी छाया से गर्मी से राहत देते हैं।

नन्हा पौधा रोज़ सूरज की रोशनी सोखता, पानी पीता, और धीरे-धीरे बढ़ता गया। लेकिन कभी-कभी, तेज हवाएँ आती थीं, जो उसे हिलाती थीं और डराती थीं। कभी-कभी, सूखा पड़ता था, और उसे पानी की कमी होती थी। लेकिन वह हार नहीं मानता था। वह जानता था कि अगर वह दृढ़ रहेगा, तो एक दिन वह भी एक बड़ा, मजबूत पेड़ बन जाएगा।

एक दिन, एक छोटा सा पक्षी उसके पास आया। वह थका हुआ था और भूखा था। नन्हा पौधा, हालांकि छोटा था, लेकिन उसने पक्षी को अपनी पत्तियों के नीचे आश्रय दिया। पक्षी ने आराम किया और फिर उड़ गया। पौधे को अच्छा लगा कि उसने किसी की मदद की है।

कुछ समय बाद, एक छोटा बच्चा बगीचे में आया। वह नन्हे पौधे को देखकर मुस्कुराया। बच्चे ने पौधे को प्यार से छुआ और कहा, “तुम बहुत प्यारे हो!” पौधे को बहुत अच्छा लगा। उसने महसूस किया कि वह दूसरों के लिए खुशी का कारण बन रहा है।

साल बीतते गए, और नन्हा पौधा बड़ा हो गया। वह एक सुंदर पेड़ बन गया था। उसकी शाखाएँ फैली हुई थीं, और उसकी पत्तियाँ हरी-भरी थीं। पक्षी उसके ऊपर घोंसला बनाते थे, और बच्चे उसकी छाया में खेलते थे।

पेड़ ने सीखा था कि दृढ़ता और दयालुता का महत्व क्या होता है। उसने समझा कि अगर हम दूसरों की मदद करें और अच्छे काम करें, तो हम भी खुश और संतुष्ट रह सकते हैं।

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