किसी ने क्या खूब लिखी है अध्यापकों और बच्चों को समर्पित इस कविता की ये पंक्तियां। वास्तविकता को दर्शाती ये पंक्तियां कम शब्दों में बयान करती है बेसिक के पूरे मर्म को। सही है इन पंक्तियों में बसता है असली भारत।
यह सरकारी स्कूल के बच्चे क्यों होते हैं इतने अच्छे। पानी मांगू तो जग ले आते हैं। पैर छूने के लिए दौड़ लगाते हैं। एक कागज मांगू तो कॉपी फाड़ लाते हैं। टीचर के काम के लिए होड़ लगाते हैं। आगे पीछे घूम के शोर मचाते हैं। मासूम से यह बच्चे दिल जीत जाते हैं। घर से गरीब हैं पर मन के अमीर हैं। ऐसा लगता है केवल इनके पास ही जमीर है। मारो या डांटो तो दिल से ना लगाते है। थोड़ा सा पुचकारों तो खूब ये शरमाते है। दिल को एक सुकून है भगवान ने ये दिन दिखाया है, खुशकिस्मत हूँ मुझे भगवान ने शिक्षक बनाया है।